निदेशक की कलम से
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दिशाकल्प : मेरा पृष्ठ शिक्षा से संस्कार एवं ज्ञान के नए अंकुर.... जी वन को सही मार्ग देने और सफल समृद्ध करने तथा सत, चित्त और आनंद प्राप्त करने में शिक्षा का महत्त्व है। शिक्षा को हम एक शब्द में व्यक्त नहीं कर सकते हैं। शिक्षा से हमारा जीवन है, जो हमें जीना सिखाती है। शिक्षा हम सभी के जीवन में सकारात्मक विचार लाकर नकारात्मक विचारों को हटाती है। साधारण शब्दों में शिक्षा का अर्थ पढ़ाई या किसी काम के लिए सुशिक्षित होने को माना जाता है, लेकिन शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञान का अर्जन नहीं बल्कि ज्ञान का निर्माण करना है। शिक्षा जीवन में सर्वांगीण सफलता और सम्पन्नता प्रदान करने के लिए संस्कार और सुरुचि के अंकुर उत्पन्न कर व्यक्तित्व निर्माण करती है। समाज में शिक्षा का महत्त्व उतना ही है, जितना जीवन में जल का है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परन्तु उसे सही और नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। हम अपने जीवन में शिक्षारूपी साधन का उपयोग करके सफलता के मार्ग में आगे बढ़ सकते हैं। मेरे प्यारे विद्यार्थियों यदि जीवन में कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो उनको सीखने का जज्बा पैदा करना होगा। सीखने के लिए एक जुनून पैदा कीजिए, यदि आप कर लेंगे तो आपका विकास कभी नहीं रूकेगा।" समाज में शिक्षक की महत्ता सदा रही है। शिक्षक का कार्य समाज का पथ प्रदर्शक के रूप में, सिखाने वाला एवं आदर्श व्यक्तित्व के रूप में रहा है। शिक्षक समाज का दर्पण है, एक प्रकाशपुंज है जो कि विद्यार्थियों को अंधकार से उजाले की तरफ ले जाता है। शिक्षण एक त्रिस्तरीय धारा है, जिसमें शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। सभी शिक्षकों के लिए मैं यह कहना चाहूँगा कि वे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के कथन "इस देश में सबसे अच्छे दिमाग क्लास की लास्ट बेंच पर मिल सकते हैं' को आत्मसात करते हुए अपना शिक्षण करावें। ग्रीष्मकालीन अवधि में शिक्षक एवं विद्यार्थियों से मेरा यह अनुरोध रहेगा कि वे पूर्व कि गत दो वर्षों में कोरोना काल से शिक्षण एवं सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में जो अंतर रहा है, उसे पूर्ण करने का प्रयास करें। आगामी माह से प्रारंभ होने वाले नवीन सत्र 2022-23 के अवसर पर सभी संस्थाप्रधानों, अध्यापकों एवं प्यारे विद्यार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ एवं बधाई के साथ.... आपका अपना
(कानाराम) शुभकामनाओं के साथ...! आइ.ए.एस |